इस साल की शुरुआत से ही राजनीति में दिल्ली चुनाव का ही हल्ला था. अब दिल्ली चुनाव हो गए, नतीजा भी आ गया है. 2015 और इस बार के नतीजों में ज्यादा अंतर नहीं रहा. तब आम आदमी पार्टी ने 67 सीट जीती थीं. बीजेपी तीन सीट के साथ नंबर-2 रही थी. इस बार आप 62 सीटों पर जीतती दिख रही है, वहीं बीजेपी सात सीटों पर सिमटती नज़र आ रही है.
ज़ाहिर सी बात है कि बीजेपी के लिए ये नतीजे काफी निराश करने वाले रहे. ऐसा क्या रहा, जिसकी वजह से केंद्र में जबदस्त जीत हासिल करने वाली बीजेपी को साल भीतर ही राजधानी में हुए चुनाव में इतनी करारी हार मिली? इस सवाल का जवाब पांच किरदारों में छिपा है. पांच किरदार, जो बीजेपी की दिल्ली में हार के विलेन साबित हुए.

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पहला नाम- अमित शाह
केंद्रीय गृहमंत्री. कुछ वक्त पहले तक बीजेपी के अध्यक्ष भी थे. दिल्ली का चुनाव पूरी तरह अमित शाह के कंधों पर था. मोदी ने तो इस चुनाव की बस ओपनिंग और क्लोजिंग की, बाकी का सारा काम शाह ने संभाला. दिसंबर में रामलीला मैदान में रैली कर मोदी ने बीजेपी के कैंपेन की शुरुआत की. इसके बाद पीएम सीधा तीन फरवरी को मैदान में उतरे.
इस बीच अमित शाह ने गली-गली घूमकर पर्चे तक बांटे, जनसभाएं कीं. एक-एक कैंडिडेट के सेलेक्शन पर नज़र रखी. लेकिन दिल्ली चुनाव में गृहमंत्री वोटर्स में वो भरोसा नहीं जगा सके, जो एक साल पहले लोकसभा चुनाव में जगाया था. वजह? उन्होंने दिल्ली चुनाव में सीएए को मुद्दा बनाने की कोशिश की. शाहीन बाग में प्रोटेस्ट कर रहे लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, बिना इस बात पर गौर किये कि शाहीन बाग में प्रोटेस्ट करने वाले लोग भी दिल्ली के ही वोटर्स हैं. करंट वाला बयान दिया, प्रोटेस्ट करने वालों को देश विरोधी साबित करने की कोशिश की. उनके इस तरीके को दिल्ली की जनता ने खारिज कर दिया.

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दूसरा नाम- प्रवेश वर्मा
वेस्ट दिल्ली से बीजेपी सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा का 28 जनवरी को एक वीडियो सामने आया. इसमें वो कुछ लोगों की भीड़ के सामने कहते दिख रहे हैं- “अगर शाहीन बाग जैसे प्रदर्शन चलते रहे, तो दिल्ली में भी कश्मीर जैसे हालात बन जाएंगे. ये प्रोटेस्ट करने वाले कल को आपके घरों में घुसेंगे, बहन-बेटियों का रेप करेंगे, मारेंगे. आज समय है. बार-बार मोदी जी और अमित शाह जी आपको बचाने नहीं आएंगे.”
इस बयान ने बीजेपी को बहुत नुकसान किया. अंदाज़ा इस बात से लगा सकते हैं कि ओखला सीट पर बीजेपी को 77 हज़ार वोट से हार मिली. शाहीन बाग ओखला सीट में ही आता है.
तीसरा नाम- अनुराग ठाकुर
अनुराग ठाकुर बीजेपी में बड़ा नाम हैं. केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री भी हैं. 27 जनवरी को एक रैली में ठाकुर ने भीड़ से नारे लगवाए- ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो ** को’.
प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर के ये दो बयान ऐसे थे, जिन्हें उनकी खुद की पार्टी भी डिफेंड नहीं कर सकी, ना ही कर सकती थी. ये दो बयान बीजेपी के लिए सेल्फ गोल जैसे थे. दोनों पर इलेक्शन कमीशन ने कैंपेनिंग करने से बैन भी लगाया. इसके बाद जामिया नगर और शाहीन बाग में प्रोटेस्ट वाली साइट्स पर गोलियां भी चलीं.

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चौथा नाम- कपिल मिश्रा
कपिल मिश्रा ने भी एंटी-CAA प्रोटेस्ट करने वालों की तुलना पाकिस्तानियों से करते हुए 25 जनवरी को ट्वीट किया, “8 फरवरी को दिल्ली में भारत बनाम पाकिस्तान मुकाबला है.”
इस ट्वीट को इतना क्रिटिसाइज़ किया गया कि ट्विटर ने भी कपिल का ये ट्वीट हटा दिया. कपिल खुद मॉडल टाउन से 11,133 वोट से हार गए. आप के अखिलेश पति त्रिपाठी यहां से जीते. हालांकि हारने के बाद भी मिश्रा ने कहा कि वो अपने बयान पर कायम हैं.

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पांचवां नाम- मनोज तिवारी
सपा छोड़कर बीजेपी में आए मनोज तिवारी को 2016 में दिल्ली बीजेपी का अध्यक्ष चुना गया था. तभी से दबी-दबी बात तो थी कि अब 2020 में मनोज तिवारी ही बीजेपी के सीएम कैंडिडेट होंगे. लेकिन मनोज तिवारी को AAP ने जिस तरह से काउंटर किया, उसके बाद तिवारी के साथ-साथ खुद बीजेपी को भी बैकफुट पर आना पड़ा.
मनोज तिवारी के कुछ कम मैच्योर बयान भी उनके खिलाफ गए. मसलन- एक इंटरव्यू में उनके अनुराग ठाकुर के नारे पर राय ली गई तो खुद ही हंसने लगे. सोशल मीडिया के ज़माने में ये सब चीजें ओपिनियन बिल्डिंग का काम कर जाती हैं.

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स्पेशल मेंशन- तेंजिदर पाल सिंह बग्गा
सोशल मीडिया पर भयानक तरीके से एक्टिव रहने वाले तेजिंदर पाल सिंह बग्गा को तिलक नगर से टिकट की उम्मीद थी. 17 जनवरी को बीजेपी की पहली लिस्ट आई. बग्गा को टिकट नहीं मिला. बाद में हरि नगर सीट से टिकट दिया गया.

लेकिन बग्गा की सोशल मीडिया एक्टिविटी के चलते उनकी नॉन-सीरियस किस्म की इमेज बनी. ट्विटर वाली प्रजेंस ज़मीन पर दिख भी नहीं सकी. बग्गा का नाम लेकर बीजेपी की जमकर ट्रोलिंग भी हुई.

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