Home History on this Day विश्व पृथ्वी दिवस: “धरा” नहीं होगी तो सब “धरा” रह जायेगा!

विश्व पृथ्वी दिवस: “धरा” नहीं होगी तो सब “धरा” रह जायेगा!

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22 अप्रैल को पूरे विश्व भर के लोगों के द्वारा एक वार्षिक कार्यक्रम के रुप में हर साल विश्व पृथ्वी पृथ्वी दिवस को मनाया जाता है। पहली बार, इसे 1970 में मनाया गया और उसके बाद से लगभग 192 देशों के द्वारा वैश्विक आधार पर सालाना इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई।
विश्व पृथ्वी दिवस को एक वार्षिक कार्यक्रम के रुप में मनाने की शुरुआत इसके मुद्दे को सुलझाने के द्वारा पर्यावरणीय सुरक्षा का बेहतर ध्यान देने के लिये, राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करने के लिये के लिये की गयी। 1969 में, सैन फ्रांसिस्को के जॉन मैककोनल नाम के एक शांति कार्यकर्ता जो सक्रियता से इस कार्यक्रम को शुरु करवाने में शामिल थे, ने एक साथ मिलकर पर्यावरणीय सुरक्षा के लिये इस दिन को मनाने का प्रस्ताव रखा। 21 मार्च 1970 को वसंत विषुव में मनाने के लिये इस कार्यक्रम को जॉन मैककोनेल ने चुना था जबकि 22 अप्रैल 1970 को इस कार्यक्रम को मनाने के लिये अमेरिका के विंसकॉन्सिन सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने चुना था।
बेहतर भविष्य के लिये अपने पर्यावरणीय मसले को सुलझाने के लिये इन्होंने लोगों को इस कार्यक्रम में एक-साथ होकर जुड़ने के लिये संपर्क किया था। विश्व पृथ्वी दिवस के पहले समारोह के दौरान लाखों लोगों ने इसमें अपनी इच्छा जताई और इस कार्यक्रम का लक्ष्य समझने के लिये भाग लिया। विश्व पृथ्वी दिवस के लिये कोई एक तारीख निर्धारित करने के बजाय, इसको दोनों दिन मनाने की शुरुआत हुयी। आमतौर पर, पूरे विश्वभर में जरुरी क्षेत्रों में नये पौधे को लगाने के आम कार्य के साथ पृथ्वी दिवस कार्यक्रम को मनाने की शुरुआत हुयी।
22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस उत्सव की तारीख की स्थापना करने के अच्छे कार्य में भागीदारी के लिये अमेरिका के विस्कॉन्सिन सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन को स्वतंत्रता पुरस्कार के राष्ट्रपति मेडल से सम्मानित किया गया। बाद में लगभग 141 राष्ट्रों के बीच वर्ष 1990 में डेनिस हेज़ (वास्तविक राष्ट्रीय संयोजक) के द्वारा वैश्विक तौर पर पृथ्वी दिवस के रुप में 22 अप्रैल को केन्द्रित किया था। बहुत सारे पर्यावरणी मुद्दे पर ध्यान केन्द्रित करने के लिये पृथ्वी सप्ताह के नाम से पूरे सप्ताह भर के लिये ज्यादातर पृथ्वी दिवस समुदाय ने इसे मनाया। इस तरीके से 22 अप्रैल 1970 को आधुनिक पर्यावरणीय आंदोलन के वर्षगाँठ के रुप में चिन्हित किया गया।
लोगों के समक्ष पर्यावरणीय मुद्दे को रखने के साथ ही युद्ध-विरोधी आंदोलन को नियंत्रित करना, दूसरे जीव-जन्तु, स्व-बोध के लिये लोगों की जागरुकता बढ़ाने के लिये पृथ्वी दिवस 1970 की स्थापना की गयी थी। 1969 में कैलिफोर्निया के सेंट बारबरा में संस्थापक गेलॉर्ड नेल्सन (विस्कॉन्सिन से एक यू.एस सीनेटर) के द्वारा पृथ्वी दिवस उत्सव के कार्यक्रम के स्थापना के पीछे एक बड़ी त्रासदी, भारी तेल गिराव की त्रासदी थी। इस त्रासदी ने हवा, पानी और मिट्टी के प्रदूषण के लिए जन चेतना बढ़ाने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के उपायों को लागू करने की दिशा में गेलॉर्ड नेल्सन को नेतृत्व करने की प्रेरणा दी।

पृथ्वी दिवस के रुप में क्यों 22 अप्रैल को ही मनाया जाता है?

हमारी पृथ्वी एकमात्र ऐसा ग्रह है जहाँ आज भी जीवन संभव है। धरती पर जीवन को बचाये रखने के लिये पृथ्वी की प्राकृतिक संपत्ति को बनाये रखना बहुत जरुरी है। इस भीड़ में, भगवान द्वारा बनायी गयी सबसे बुद्धिमान कृति इंसान हैं, अपनी मानवता और अपने ग्रह का ध्यान रखना भूल गया है। धरती जिसने इसको जीवन दिया, आज वो उसी धरती के संसाधनों का निर्दयतापूर्वक इस्तेमाल कर रहा है। अपने ग्रह के महत्व के बारे में मानव जाति को जागरुक करने के लिय पृथ्वी दिवस के रुप में 22 अप्रैल को चिन्हित किया गया है।
धरती पर लोगों के रहन-सहन के लापरवाह नजरिये के साथ ही औद्योगिकीकरण की दिनों-दिन बढती दर के बारे में लोगों को जागरुक बनाने के लिये विस्कॉन्सिन से यूएसए सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने इस दिन की नींव रखी। उनके द्वारा यह कदम अपने ग्रह की संपत्ति का सम्मान, प्रोत्साहन करने के साथ ही लोगों के बीच प्राकृतिक संतुलन के विचार को बढ़ाने के लिये लिया गया। हमेशा स्वस्थ और जीवित रहने के लिये पर्यावरणीय मसलों का ध्यान रखना बहुत जरुरी है क्योंकि क्रूर लोग निर्दयतापूर्वक इसके संसाधनो का प्रयोग कर रहें हैं और शताब्दियों से इसके जीवन समर्थक संसाधनों को जर्जर कर रहें हैं।
इसका एक सबसे बड़ा उदाहरण ओजोन परत में क्षरण है जो हमें सूर्य की घातक किरणों से बचाता है। उद्योगों से निकलने वाले जहरीले पदार्थों को मिलने से नदियों का सूखना, पर्यावरण दूषित होने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है जो भूमणडलीय तापक्रम में वृद्धि की ओर ले जा रहा है। रोजाना बढ़ते औद्योगिकीकरण वनों की कटाई की ओर ले जा रहें हैं जो अंतत: धरती के तापमान को बढ़ाने का कारण बनेगा। जो धरती पर स्वाश्वत जीवन के लिये खतरा है जिसको कुछ छोटे उपायों को अपनाकर कम किया जा सकता है, जैसे पेड़-पौधे लगाना, वनों की कटाई को रोकना, वायु प्रदूषण को रोकने के लिये वाहनों के इस्तेमाल को कम करना, बिजली के गैर-जरुरी इस्तेमाल को घटाने के द्वारा ऊर्जा संरक्षण को बढ़ाना। यही छोटे कदम बड़े कदम बन सकते हैं अगर इसे पूरे विश्वभर के द्वारा एक साथ अनुसरण किया जाये।
आज के दिनों में, सब कुछ या तो प्लास्टिक के थैलों में पैक होता है या दुकानदार के द्वारा इसमें दिया जाता है। प्लास्टिक थैलों का उत्पादन दिनों-दिन बढ़ता चला जा रहा है जो कि हमारे लिये एक बहुत ही शर्मनाक स्थिति है क्योंकि इन वस्तुओं का निष्पादन नहीं किया जा सकता है। एक बड़ी चिंता के रुप में पर्यावरण आंदोलन को चिन्हित करने के लिये 22 अप्रैल 1970 को यूएस में पृथ्वी दिवस का पहला उत्सव मनाया गया। अमेरिका के कॉलेज परिसरों से छात्र समूह जनता में जागरूकता बढ़ाने के लिए तथा पर्यावरण ह्रास का विरोध करने के लिए भाग लिया था। दूसरे समूह ने तेल गिरावट, जहरीले सामानों का निष्पादन, औद्योगिकीकरण के कारण वायु और जल प्रदूषण, कच्चा मैला, कीटनाशकों के इस्तेमाल और उत्पादन इत्यादि के लिये भी विरोध किया था। तब से 22 अप्रैल को आधिकारिक रुप से पृथ्वी दिवस के रुप में मनाना जारी है।
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विश्व पृथ्वी दिवस कैसे मनाया जाता है

अपनी धरती के प्राकृतिक संपत्ति को बचाने के लिये 22 अप्रैल 1970 से ही बहुत उत्साह और दिलचस्पी के साथ पृथ्वी दिवस को पूरी दुनिया के लोग मनाते हैं। 20 मिलियन से ज्यादा अमेरिकन इस कार्यक्रम को मनाने के लिये भाग लेते हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरणीय मुद्दों, औद्योगिकीकरण, वन कटाई आदि पर आधारित भूमिका प्रदर्शित करने के लिये सड़कें, पार्क और ऑडिटोरियम को व्यस्त रखतें हैं। पृथ्वी से जुड़े बढ़ते पर्यावरणीय ह्रास के मुद्दों के विरोध में हजारों कॉलेज, विश्वविद्यालयों और दूसरे शैक्षणिक संस्थानों से विद्यार्थी सक्रियता से भाग लेते हैं जैसे दिनों-दिन पर्यावरणीय ह्रास, वायु और जल प्रदूषण, ओजोन परत में कमी आना, औद्योगिकीकरण, वन-कटाई आदि से तेलों का फैल जाना, प्रदूषण फैलाने वाली फैक्टरी को तैयार करना, पावर प्लॉन्ट, कीटनाशक का उत्पादन और इस्तेमाल आदि से बचाना।
विभिन्न कानूनी नियमों को लागू करने के द्वारा पृथ्वी की सुरक्षा की ओर बहुत से देशों की सरकारों के द्वारा कई कदम उठाये गये। पृथ्वी दिवस को मनाने के लिये विभिन्न कार्यक्रम और अभियानों का आयोजन पर्यावरण संबंधी नेताओं का एक समूह करता है। विभिन्न प्रकार के लाभप्रद उपायों को लागू करने के द्वारा पर्यावरणीय मुद्दों का समाधन करने के लिये 141 देशों से बड़ी संख्या में लोग एक-साथ होते हैं। नयी पीड़ियों के स्वागत के लिये एक स्वच्छ और स्वस्थ विश्व बनाने के लिये स्वच्छ पर्यावरण के विषय-वस्तु के प्रदर्शन में लोग भाग लेते हैं। धरती के पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिये तथा लोगों को प्रेरणा देने के लिये विश्व पृथ्वी दिवस को मनाने का लक्ष्य है।
इस दिन लोग धरती की सुरक्षा से संबंधित बाहरी गतिविधियों में शामिल होते हैं जैसे नये पेड़-पौधों को लगाना, पौधा रोपण, सड़क के किनारे का कचरा उठाना, गंदगियों का पुर्नचक्रण करना, ऊर्जा संरक्षण आदि। दिनों-दिन बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग और दूसरे पर्यावरणीय तबाही से बचाने के लिये कुछ लोग सरकार से त्वरित कार्यवाही करने के लिये आग्रह करते हैं। लोगों को जागरुक करने के लिये वास्तविक पर्यावरणीय मुद्दों के साथ निपटने के लिये इस दिन सभी टीवी चैनल इससे संबंधित कार्यक्रम दिखाते हैं।
सरकार के द्वारा इसको आधिकारिक रुप से सार्वजनिक अवकाश घोषित नहीं किया गया है। सभी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और शैक्षणिक संस्थान इस दिन खुले रहते हैं। अमेरिकी सीनेटर गेलार्ड नेल्सन के द्वारा पहली बार 22 अप्रैल 1970 में पृथ्वी दिवस की स्थापना की गयी। पारिस्थितिकी को बढ़ावा देने और ग्रह पर जीवन के सम्मान के साथ ही वायु, जल और भूमि प्रदूषण की बढ़ती समस्या के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिये इसका आयोजन किया गया है।
लोग जो इस कार्यक्रम को मनाने में भाग लेते हैं, जानवरों और पौधे के जीवन को इंगित करने के लिये हरे और नीले रंग का इस्तेमाल पृथ्वी ग्रह को बनाने में करते हैं और ग्रीन हाउस प्रभाव और ग्लोबल वार्मिंग को शामिल किये हुए अपने प्राकृतिक पुनर्चक्रण का प्रतीक होता है। अमेरिका में कुछ स्थानों पर जागरुक बनाने के लिये फूल, पौधे या कीड़े लगे कपड़ों में सजे हुए एक परेड में भाग लेने के द्वारा लोग पृथ्वी दिवस मनाते हैं कि देखो पूरा पर्यावरण हमारा वास्तविक घर है।

पृथ्वी दिवस को मनाने का कई तरीका है

हम क्या कर सकते हैं?
  • अपने निजी वाहन का उपयोग सीमित करें। जब भी संभव हो, कार साझा करें अथवा सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें।
  • नए पेड़ लगाएं। वर्षा का जल संचित करें।
  • अपशिष्ट पदार्थ को पुनः चक्रित (रिसाइक्लिंग) करें।  बेकार की वस्तुओं से उपयोगी सामान निर्मित करें जैसे कि पुनर्नवीनीकरण कागज द्वारा कागज़ के बैग (थैले) बनाएं जाएँ।
  • आप जब भी कमरे से बाहर जाएँ, हमेशा लाइट बंद करके जाएँ। जब आप बिजली के उपकरणों का उपयोग न कर रहे हो, तो उन्हें बंद करें।
  • प्लास्टिक की थैलियों को “न” बोलें : उनकी जगह पर जूट अथवा कागज के बैग (थैले) का उपयोग करें।
  • थोड़ी दूरी तक जाने के लिए साइकिल का उपयोग करें अथवा पैदल चलें।
  • कागज़ का सर्वोत्तम उपयोग करें। कागज़ का उपयोग कम से कम करें तथा जहाँ तक संभव हो डिजिटल तकनीक का उपयोग करें।
  • कार्यस्थल तथा घर पर पानी को संरक्षित करें। सुझावों की अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए यहाँ पर क्लिक करें।
  • सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा/गंदगी न करें। सफ़ाई अभियान में सक्रिय रूप से भाग लें। पार्क और अन्य सार्वजनिक स्थानों तथा सड़क पर पड़े कचरे को उठाएं।
  • नष्ट होने योग्य और जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट को अलग करें।
  • सीएफएल बल्बों की जगह एलइडी बल्ब को प्राथमिकता दें। यह लंबे समय तक उपयोग किए जा सकते हैं तथा इससे बिजली की खपत कम होती हैं।
  • गैस की खपत कम करने के लिए अपनी कार के टायर में ठीक से हवा भरकर रखें।
  • दुबारा उपयोग किए जाने वाले कप अथवा बोतल तथा कपड़े से बने थैले का उपयोग करें।
  • डिस्पोजेबल बैटरी के बजाए रिचार्जेबल बैटरी का उपयोग करें।
  • जरुरी स्थानों पर नये पौधा-रोपण करें।
  • अपने परिवार के साथ कुछ बाहरी गतिविधियों में शामिल हों जैसे पेड़ पर पक्षी के लिये घोंसला बनाना और पारिस्थितिकी तंत्र में उनकी भूमिका के बारे में चर्चा करना।
  • भूमि और जल प्रदूषण को टालने के लिये प्लास्टिक थैलों के इस्तेमाल में कमी लाने के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना।
  • पुराने सामानों का पुनर्चक्रण और दुबारा प्रयोग करने के बारे में अपने बच्चों को सिखाना।
  • सड़क, पार्क और दूसरी जगहों से गंदगी हटाने में भाग लेना।
  • मनोरंजन गतिविधियों में भाग लेना जैसे गीत गायन जो पर्यावरण सुरक्षा से संबंधित हो और इस उत्सव में शामिल होने के लिये अधिक से अधिक व्यक्तियों को आकर्षित करें।
  • शैक्षणिक सत्रों में भाग लें जैसे सेमिनार, परिचर्चा और दूसरे प्रतियोगी क्रियाकलाप जो धरती के प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा से संबंधित हों
  • पर्यावरणीय रंगों को दिखाने के लिये हरे, भूरे या नीले रंग के कपड़े पहनने के द्वारा लोगों को प्रोत्साहित करें।
  • विभिन्न व्यवहारिक संसाधनों के द्वारा ऊर्जा संरक्षण के लिये लोगों को बढ़ावा दें।
  • लोगों को शिक्षा दें कि हर दिन पृथ्वी दिवस है, इसलिये हर दिन उन्हें धरती का ध्यान रखना चाहिये।

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विश्व पृथ्वी दिवस उत्सव का महत्व

आम लोगों खासतौर से युवाओं के बीच पर्यावरणीय सुरक्षा के अभियान का पूरा प्रभाव प्राप्त करने के लिये तथा हर वर्ग और समूह के लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने के लिये इस दिन को (22 अप्रैल) गेलार्ड नेल्सन, पृथ्वी दिवस के संस्थापक ने चुना था। दिमाग में कुछ बातों को रखने के द्वारा उन्होंने इस दिन को चुना कि विद्यार्थियों के लिये परीक्षा का कोई खलल नहीं होगा या आम लोगों के लिये कोई मेला या त्योंहार नहीं होगा, इसलिये हर कोई अपना पूरा ध्यान इस उत्सव पर दे सकता है। ग्रेगरी कैलेंडर के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि 22 अप्रैल 1970 को व्लादिमिर लेनिन का 100 जन्मदिवस था।

विश्व पृथ्वी दिवस का विषय (थीम)

  • विश्व पृथ्वी दिवस 2020 का विषय  “Climate Action,” है।
  • विश्व पृथ्वी दिवस 2019 का विषय “Protect Our Species” है।
  • विश्व पृथ्वी दिवस 2018 का विषय है  “प्लास्टिक प्रदूषण का अंत”।
  • विश्व पृथ्वी दिवस 2017 का विषय है “पर्यावरण और जलवायु साक्षरता”
  • विश्व पृथ्वी दिवस 2016 का विषय है “पृथ्वी के लिए एक पेड़”।
  • विश्व पृथ्वी दिवस 2015 का विषय था “जल अद्भुत विश्व”।
  • विश्व पृथ्वी दिवस 2014 का विषय था “हरे शहर”।
  • विश्व पृथ्वी दिवस 2013 का विषय था “जलवायु परिवर्तन का चेहरा”।
  • विश्व पृथ्वी दिवस 2012 का विषय था “धरती को संगठित करना”।
  • विश्व पृथ्वी दिवस 2011 का विषय था “वायु को साफ करें”।
  • विश्व पृथ्वी दिवस 2010 का विषय था “कम करो”।
  • विश्व पृथ्वी दिवस 2009 का विषय था “कैसे आप आस-पास रहते हैं”।
  • विश्व पृथ्वी दिवस 2008 का विषय था “कृपया पेड़ लगायें”।
  • विश्व पृथ्वी दिवस 2007 का विषय था “धरती के प्रति दयालु बने-संसाधनों को बचाने से शुरुआत करें”।

पृथ्वी दिवस पर महान लोगों के कथन:

पृथ्वी दिवस पर हमने यहाँ कुछ प्रेरणादायी और अर्थपूर्णं कथन दिया है, पृथ्वी दिवस पर बोले गये ये सारे कथन प्रसिद्ध हस्तियों द्वारा दिया गया है। ऐसे अच्छे कहे गये कथन हमें धरती का ध्यान रखने और इसके प्राकृतिक संपत्ति को संरक्षित करने की प्रेरणा देते हैं।
“पृथ्वी दिवस को चिन्हित करेंगे 175 देशों के एक मिलियन लोग। जो दृश्य में चाय पार्टी रखता है, क्या ऐसा नहीं होता है?”- ग्रेग ड्वोर्किन
“इस पृथ्वी दिवस को मनाने में, हमारे राष्ट्र की झील, नदियाँ, धाराएँ और मुहाने में जल की गुणवत्ता के सुधार में निवेश के कानूनी लक्ष्य के मदद के लिये सदन के सभी सदस्यों को मैं प्रोत्साहित करुँगा।”- जेरी कॉस्टेलो
“वैसे, शायद, सबसे बड़ी उपलब्धि, और हम इसे समय पर नहीं जानते थे, क्या हमने 1970 में पृथ्वी दिवस रखा था, पृथ्वी दिवस के अलावा पर्यावरण को बचाने में बहुत सारे विद्यार्थी शामिल हो गये थे, या कोशिश कर रहे हैं।”- पीट मैक्क्लोजकी
“हर दिन पृथ्वी दिवस है, और मेरी राय में अब से एक सुरक्षित जलवायु भविष्य में हम निवेश शुरु करें।”- जैकी स्पीयर
“पृथ्वी दिवस 1970 अटूट सबूत था कि अमेरिकन लोग पर्यावरणीय चिंताओं को समझते हैं और उसको सुधारने के लिये कार्यवाही चाहते हैं।”- बैरी कॉमनर
“हमारे पास कुछ बड़ी सफलताएँ हैं और हमने ऐसा किया था क्योंकि पृथ्वी दिवस को देश ने गले लगाया था और इस संकल्पना को ग्रहण किया कि इस देश में हमें आगे की ओर देखने वाला, दृश्यात्मक पर्यावरणीय नीति और ऊर्जा नीति चाहिये।”- जे इंस्ली
“अगर हम कभी भी जलवायु परिवर्तन को रोके और भूमि, जल और दूसरे संसाधनों को संरक्षित करें, जानवरों की पीड़ा को घटाना, हमें हर दिन पृथ्वी दिवस मनाना चाहिये- हर खाने पर।”- इंग्रीड न्यूकिर्क
“पृथ्वी दिवस पर, हम उन सभी उपहारों की खुशी मनाते हैं जो हमें प्रकृति उपलब्ध कराती है। इसकी उदारता पर अपनी पूरी निर्भरता को हम पहचानते हैं। और भविष्य की पीड़ी के लिये इसके फलों को सुरक्षित रखने के लिये अच्छे प्रबंधन के लिये हम स्वीकार करते हैं।”- जॉन होवेन
“परावर्तित करने के लिये पृथ्वी दिवस को हमें जरुर प्रोत्साहित करना चाहिये जो हम कर रहें है अपने ग्रह को बनाने में, एक दीर्घकालिक और रहने लायक स्थान।”- स्कॉट पीटर्स
“पृथ्वी वो है जो हम सभी के पास एक जैसी है।”- वेंडेल बैरी
“भगवान को धन्यवाद कि इंसान उड़ नहीं सकते, धरती के साथ ही आकाश को भी बरबाद कर देते।”- हेनरी डेविड थोरियू
“खुद को जानने के लिये मनुष्य जुरुर धरती का एहसास करता है और अपने मूल्यों को पहचानता है….ईश्वर ने जीवन आसान बनाया है। ये इंसान है जो इसे जटिल बना देता है।”- चार्ल्स ए लिंडबर्ग
“वो जो धरती की सुंदरता पर चिन्तन करता है, मजबूती की रक्षित सेना पाता है जो जीवन के अंत तक बना रहेगा।”- राखेल कार्सन
“बोलते हुए स्वर्ग से बात करने के लिये पेड़ पृथ्वी का अंतहीन प्रयास है।”- रविन्द्रनाथ टैगोर
“ईश्वर स्वर्ग बनाना चाहता है और धरती वो स्वर्ग है। सुदूर ब्रम्हाण्ड में यहाँ बहुत ढ़ेर सारा प्यार, जीवन, सुंदरता और शांति है। अपने हमजोली के साथ मस्ती करें।”- अमित राय
“ये पृथ्वी दिवस है मैं आश्चर्य चकित हूँ कि हम लोगों से ज्यादा पेड़ लगा सकते है एक बदलाव के लिये।”- स्टेनले विक्टर पासकविच
हमारा पृथ्वी ग्रह बेहद सुंदर और जीवनदायी है। यह अनोखा ग्रह सौर मंडल का तीसरा ग्रह है जो आज से लगभग साढ़े चार अरब वर्ष पहले अस्तित्व में आया। पृथ्वी के जन्म के लाखों-करोड़ों वर्षों के बाद से विभिन्न जटिल प्रक्रियाओं व नाजुक संयोगों के परिणामस्वरूप इस ग्रह पर विभिन्न रूपों में जीवन का विकास हुआ। पृथ्वी ग्रह की अनोखी संरचना, सूर्य से दूरी एवं अन्य भौतिक कारणों के कारण यहां जीवन पनप पाया है।
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इस धरती पर भांति-भांति का जीवन अपने रंग-बिरंगे रूपों में खिलखिला रहा है और मानव को सबसे बुद्धिमान जीव का खिताब हासिल है। लेकिन ज्यों-ज्यों मानव ने सभ्यता की सीढ़िया चढ़ी हैं, त्यों-त्यों उसकी आवश्यकताएं बढ़ीं हैं। अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने की खातिर मानव ने जरूरत से ज्यादा प्राकृतिक संपदा का दोहन करके इस ग्रह के नाजुक संतुलन को ही गड़बड़ा दिया है।
यह बात सोचने की है कि बेलगाम दोहन के बावजूद आदमी पहले से ज्यादा सुखी नहीं हुआ है, ज्यादा दुखी हो गया है। बीसवीं सदी में जब दुनिया विकास की अंधी दौड़ लगा रही थी तब हमारा पर्यावरण किसी की चिन्ता का विषय नहीं था। सबकी निगाह अंतिम विकास पर टिकी थी। आज जब हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं मगर शुद्ध वातावरण में सांस नहीं ले रहे हैं। हमने पिछली शताब्दी में पर्यावरण की कीमत पर विकास हासिल किया है। विकास के लिए हमने अपने पर्यावरण और जैव विविधता को नजर-अंदाज किया है तो आज हमें ग्लोबल वार्मिंग जैसी वैश्विक चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग आज पूरी दुनिया के लिए एक भयावह चुनौती बन गई है। ग्लोबल वार्मिंग एवं इससे संबंधित विभिन्न समस्याओं जैसे प्रदूषित होता पर्यावरण, जीवों व वनस्पतियों की प्रजातियों का विलुप्त होना, उपजाऊ भूमि में होती कमी, खाद्यान्न संकट, तटवर्ती क्षेत्रों का क्षरण, ऊर्जा के स्रोतों का कम होना और नयी-नयी बीमारियों का फैलना आदि संकटों से पृथ्वी ग्रह पर विनाष के बादल मंडरा रहे हैं।
आज मानव अधिकाधिक भौतिक सुविधाएं जुटाकर आरामदायक और वैभवशाली जिन्दगी बिताने की इच्छा रखता है। और इस राह में चलते हुए विकास और प्रगति की दौड़ में हर कोई आगे निकलना चाहता है जिससे प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन करना आम बात हो गई है। आज शुद्ध जल, शुद्ध मिट्टी और शुद्ध वायु हमारे लिए अपरिचित हो गए हैं। आज विकास की राह सिर्फ इंसान के लिए राह बनाई जा रही है, इसमें प्रकृति कहीं नहीं है।
आज पृथ्वी के जीवनदायी स्वरूप को बनाए रखने की सर्वाधिक जिम्मेदारी मानव के कंधों पर ही है। ऐसे में मानव को ऐसे व्यक्ति या उसके विचारों का अनुसरण करने की आवश्यकता है, जिसनें प्रकृति को करीब से जाना-समझा हो और सदैव प्रकृति का सम्मान किया हो। दुनिया में प्रकृति के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले लोगों में कुछ भारतीय नाम जैसे महात्मा गांधी, सुंदरलाल बहुगुणा, बाबा आम्टे, का नाम भी शामिल है।

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आज सभी को मानवीय मूल्यों और पर्यावरण में होते ह्रास के कारण पृथ्वी और यहां उपस्थित जीवन के खुशहाल भविष्य को लेकर चिंता होने लगी है। ऐसे समय में महात्मा गांधी के विचार हमारा विश्वास कायम रख सकते हैं। इस समय गांधीजी के “सादा जीवन उच्च विचार” वाली विचारधारा को अपनाने की आवश्यकता है। गांधीजी के विचारों का अनुकरण करने पर मानव प्रकृति के साथ प्रेममयी संबंध स्थापित करते हुए इस पृथ्वी ग्रह की सुंदरता को बरकरार रख सकता है।

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