दिनभर की थकान अपने बिस्तर पर जाकर ही दूर होती है.

सोना हो, पढ़ना हो या कभी ऐसे ही शांति से बैठे रहना हो तो पहली जगह, बिस्तर ही याद आती है.

लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि जिस बिस्तर पर सोकर आप अपनी सारी थकान दूर करते हैं उसका इतिहास क्या रहा है? वो आया कहां से?

चलिये हम बताते हैं ……..

1) 77,000 साल पहले भी मिले थे बिस्तर:

इतिहासकार ग्रेग जेनर का कहना है कि बिस्तर के अस्तित्व का सबसे पहला प्रमाण 77 हज़ार साल पहले पाषाण काल में मिलता है.

दक्षिण अफ्ऱीका की गुफाओं में लोग अपने हाथ से बने बिस्तरों पर सोते थे. वो बिस्तर चट्टान के बने होते थे.

ग्रेग कहते हैं, “गुफाएं बहुत आरामदायक नहीं थी और वहां तरह-तरह के कीड़े होते थे. ऐसे में फ़र्श से थोड़ा ऊपर उठकर सोना पड़ता था.”

ग्रेग बताते हैं कि उस समय के लोग खाना भी बिस्तर पर ही खाते थे जिसके बाद वो बिस्तर चिकना हो जाता था. इसलिए फिर वो उनमें आग लगा देते थे. पुरात्तवविदों को राख की कई ऐसी जली हुई परते मिली हैं जो इस बात का प्रमाण देती हैं.

2पत्थर के थे शुरुआती बिस्तर:

ग्रेग बताते हैं, “10 हज़ार साल पहले नव-पाषाण काल में तुर्की के आधुनिक दिनों में कैटैलहॉक ऐसा पहला शहर था, जहां सोने के लिए लोग ज़मीन के थोड़ा ऊपर बिस्तर लगाते थे.”

वहीं, ओर्कनेयस (स्कॉटलैंड) के स्कारा ब्रे नाम के गांव में भी इसी तरह के पत्थर के बने बिस्तर देखे गए हैं.

ग्रेग कहते हैं, “वहां के निवासी पत्थरों का ढेर लगाकर उससे एक तरह से बिस्तर बना लेते थे जिससे वो उस पर लेट सकें. इस पर कुछ बिछा भी सकते थे.”

ज़मीन के ऊपर लगाए गए पत्थर के बिस्तर असल में दुनिया के पहला पलंग था.

3कैसे थे मिस्र के बिस्तर:

मिस्र के अमीर लोगों ने अपने पलंग में पैर भी जोड़ लिए थे.

ग्रेग का कहना है, “लकड़ी के बने बेड को जानवरों के आकार में बनाया जाता था. बेड के पैरों को जानवरों की तरह बनाने में सुंदर नक्काशी का काम किया जाता था.”

लेकिन वे आधुनिक बेड की तरह सपाट नहीं थे. वे नीचे की ओर थोड़े से झुके होते थे. साथ ही आप नीचे की ओर फिसले नहीं, इसके लिए बेड के निचले सिर पर एक आड़ बनी होती थी.

4)ऊंचे दर्जे से जुड़े बेड:

पश्चिम देशों के साथ-साथ चीन के कुछ हिस्सों में भी उठे हुए बेड को ऊंचे दर्जे से जोड़कर देखा जाता था.

लेकिन, जापान में ऐसा नही था. वहां आज भी पारंपरिक टेटामी बिस्तर लोकप्रिय हैं और लोग ज़मीन पर बिस्तर लगाकर सोते हैं.

ग्रेग के मुताबिक़, कज़ाकिस्तान में आज भी ज़मीन पर बिस्तर लगाने की परंपरा है. वो एक तरह से गद्दे इस्तेमाल करते हैं जिन्हें ‘तशक’ कहा जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि पारंपरिक तौर पर यहां के लोग खानाबदोश रहे हैं और उन्हें अपना टैंट व बेड साथ लेकर घूमना पड़ता है. ये परंपरा आज भी बनी हुई है.

5बेड पर खाना खाते थे रोम और यूनान के लोग:

रोम और यूनान के बेड कई कामों में इस्तेमाल होते थे. वहां के लोग जिस बेड पर सोते थे उसी पर खाना भी खाते थे.

ग्रेग के अनुसार वो बेड के एक किनारे पर तकिये का सहारा लेकर बैठते थे जिससे की पास के टेबल पर रखी खाने की चीजें या कुछ और सामान उठा सकें.

6मध्यकालीन युग के ग्रेट बेड‘:

मध्यकालीन यूरोप में सबसे ग़रीब लोग भूसे और घास पर सोते थे, लेकिन अमीर लोग, उनके बेड पर सोना लगा होता था जिन्हें ‘ग्रेट बेड’ कहा जाता था.

ये बेड बनाए ही इस तरह गए थे कि उन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सके.

ग्रेग कहते हैं, “देखने में ये बेड भले ही ठोस लगते थे लेकिन जब भी वो लोग देश से बाहर जाते थे तो अपने बेड साथ ले जाते थे. ये बेड इतने विशाल थे कि एक फुटबॉल टीम उसमें समा सके.”

7) लकड़ी और रस्सी से बने बेड:

शुरुआती आधुनिक समय में बेड का ढांचा लकड़ी का बना होता था और उसके बीच में प्राकृतिक रेशों से बनी रस्सियां भर दी जाती थी.

ग्रेग बताते हैं, “इन रस्सियों को खींच कर लकड़ी के ढांचे में भरा जाता था. ये बाद में जब ये ढीले हो जाते थे तो इन्हें फिर से कस लिया जाता था.

भारत में इन्हें चारपाई के नाम से जाना जाता है.

8रईसी दिखाने वाले बेड:

1400वीं और 1500वीं शताब्दी में इस तरह के बेड काफ़ी लोकप्रिय हुए थे.

ग्रेग का कहना है, “इन बेड के ऊपर कैनोपी होता है. इटली के लोगों ऐसे बेड को लेकर बहुत उत्सुक रहते हैं. इनमें पतले पर्दे और छोटे तकिए होते थे जिससे ये बेड थिएटर की तरह दिखने लगते थे.”

ये बेड रईसी दिखाने का भी एक तरीका बने गए थे. इन्हें संभालने के लिए अलग से एक व्यक्ति रखने की ज़रूरत होती थी.

9राजनीतिक जीवन का केंद्र होते थे ये बेड:

शुरुआती आधुनिक काल के जानकार प्रोफेसर साशा हैंडले बताते हैं कि आधुनिक काल की शुरुआत में सरकारी बेड प्रसिद्ध हुआ करते थे.

साशा कहते हैं, “17 वीं शताब्दी के अंत में वर्सेल्सल में फ्रांस के लुइस XIV और इंग्लैंड के राजा चार्ल्स इस संस्कृति को विकसित करने वाले प्रमुख दो सम्राट थे.”

बरोक की राजनीतिक संस्कृति में राजशाही के दौरान ये धारणा थी कि राजा या रानी को सीधे भगवान से शासन करने का अधिकार और शक्ति मिलती है.

उनके लिए बेड राजनीतिक जीवन के केंद्र थे. इसके आसपास कई अनुष्ठान होते थे जिनमें सम्राट का पसंदीदा दरबारी शामिल होता था.

10बच्चों के पालनों पर चाकू लटकाना:

ईसाइयों का मानना था कि रात में सोने के बाद बुरी शक्तियां ताकतवर हो जाती हैं. बाइबल में इस तरह के कई उदाहरण भी दिए गए हैं जिनमें बताया गया है कि बुरी शक्तियों ने सोते हुए लोगों को मार दिया.

इससे बचने के लिए लोग धार्मिक उयाय करने लगे जिसमें बच्चों के बिस्तर पर चाकू रखना शामिल था. इसके अलावा भेड़िये के दांत भी पहनकर सोते थे.

आज भी अमरीका में बुरी शक्तियों और सपनों से बचने के लिए इसी तरह के ड्रीमकैचर का इस्तेमाल किये जाते हैं.

11) कुछ में छह गद्दे शामिल हो सकते थे इन्हें मूल्यवान माना जाता था:

आधुनिक काल की शुरुआत में परिवार बेड के लिए पैसा और समय दोनों खर्च करते थे. ऐसे बेड को विरासत माना जाता था.

12) विक्टोरियन लोगों ने बीमारी से लड़ने के लिए लोहे के बेड बनाए:

19वीं शताब्दी तक सभी बेड लकड़ी के बने होते थे. लेकिन 1860 के दशक से लोग कीटाणुओं के बारे में जानने लगे. लकड़ी के बेड में दीमक लगने की संभावना रहती थी तो उन्हें लोहे के बेड से बदल दिया गया.

लोहे के बेड स्वास्थ्य के लिए भी अच्छे थे और इन्हें साफ करने में भी आसानी होती थी.

13) विक्टोरियंस ने बच्चों के बेडरूम का आविष्कार किया:

ऐतिहासिक रूप से एक परिवार एक ही बिस्तर पर सोता था. लेकिन ब्रिटेन में लोगों ने अलग-अलग सोने पर विचार किया.

विक्टोरियन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लिखा कि बच्चों को रात के दौरान माता-पिता से अलग सोना चाहिए ताकि रात को उनकी ऊर्जा बच सके.