सफदर हाशमी (Safdar Hashmi). एक लेखक, शिक्षाविद, नाटककार. नुक्कड़ नाटकों का जन्मदाता. वामपंथी आंदोलन के सांस्कृतिक प्रतिरोध का प्रतीक. श्रम का समर्थक और पूंजीवादी व्यवस्था का विरोधी. ये तमाम विशेषता उसी सफदर हाशमी की है, जिनके नाटकों से तानाशाही व्यवस्था की नींव हिल जाती थी. पूंजीवादी व्यवस्था की नींद उड़ जाती थी.

सत्ता के खिलाफ इनके नाटकों का स्वर इतना बुलंद था कि एक नाटक के प्रदर्शन मात्र से सत्ता समर्थक उनकी जान लेने पर उतारू हो गए. 2 जनवरी 1989, यही वो मनहूस दिन था, जब महज 34 वर्ष की आयु में उनकी मौत हो गई. यह कोई सामान्य मौत नहीं, बल्कि हत्या (Safdar Hashmi Murder) थी. चलिये जानें क्या हुआ था उस दिन…

1 जनवरी 1989 को गाजियाबाद के झंडापुर में अंबेडकर पार्क के नजदीक जन नाट्य मंच (जनम), माकपा के उम्मीदवार रामानंद झा के समर्थन में नुक्कड़ नाटक कर रहा था। नाटक का नाम था, ‘हल्ला बोल’। तभी कांग्रेस के उम्मीदवार मुकेश शर्मा वहां से निकल रहे थे। उन्होंने सफदर हाशमी से रास्ता देने को कहा। इस पर सफदर ने उन्हें थोड़ी देर रुकने या दूसरे रास्ते से निकलने को कहा। तभी मुकेश शर्मा के समर्थक नाराज हो गए और उन्होंने नाटक मंडली पर हमला कर दिया। इस हमले में सफदर बुरी तरह जख्मी हो गए। उन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया, जहां 2 जनवरी को उन्होंने दम तोड़ दिया। सफदर हाशमी ने जब दुनिया को अलविदा कहा, तब उनकी उम्र मात्र 34 साल थी। इतनी कम उम्र जीने वाले सफदर हाशमी ने ऐसा मुकाम बना लिया था, जो लोगों के दिलों में उतर चुका था।

अगले दिन सफदर हाशमी का जब जनाजा निकला, तब दिल्ली की सड़कों पर 15 हजार से ज्यादा लोग उमड़ आए थे। सफदर की मौत के 48 घंटे बाद उनकी पत्नी मौली श्री और उनके साथियों ने अंबेडकर पार्क जाकर हल्ला बोल नाटक का मंचन किया। उस दिन तारीख थी 4 जनवरी। उन्होंने कई कविताएं भी लिखीं। उनकी मशहूर कविताओं में से एक ये भी है, “किताबें करती हैं बातें, बीते जमाने की, दुनिया की इंसानों की…’

12 अप्रैल 1954 को जन्मे सफदर हाशमी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इंग्लिश लिटरेचर में एमए किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद सूचना अधिकारी बने, लेकिन बाद में नौकरी से इस्तीफा देकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता ले ली। 1978 में 24 साल की उम्र में जन नाट्य मंच की स्थापना की। उनकी मौत के 14 साल बाद 2003 में गाजियाबाद कोर्ट ने कांग्रेस नेता मुकेश शर्मा समेत 10 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। चलिये दोस्तों इतना ही…

#SafdarHashmi एक लेखक, शिक्षाविद, नाटककार. नुक्कड़ नाटकों का जन्मदाता. श्रम का समर्थक और पूंजीवादी व्यवस्था का विरोधी. ये तमाम विशेषता उसी #सफदर_हाशमी की है, जिनके नाटकों से तानाशाही व्यवस्था की नींव हिल जाती थी. उसकी हत्या नाटक करते हुए कर दी गई…
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