अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप 24- 25 फरवरी को भारत में होंगे. इस दौरे को लेकर काफी उत्सुकता है भारत में. सरकार भी काफी तैयारियां कर रही है. आने वाले कुछ दिनों तक ट्रंप सुर्खियों में रहेंगे. इसी माहौल में हम आपको बता रहे US प्रेसिडेंट की आधिकारिक हवाई सवारी ‘एयर फोर्स वन’ की ख़ासियतें, जो दुनिया का सबसे सुरक्षित एयरक्राफ्ट माना जाता है.
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‘एयर फोर्स वन’ क्या है?
तकनीकी तौर पर, अमेरिकी वायुसेना का कोई भी एयरक्राफ्ट जो कि अमेरिकी राष्ट्रपति को लाए-ले जाए, ‘एयर फोर्स वन’ है. और टेक्निकल जाएंगे, तो ये असल में एक रेडियो कॉल सिग्नल का कोड नाम है. ये हर उस विमान में इस्तेमाल होगा, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति यात्रा कर रहे होंगे. ताकि इसके रेडियो सिग्नल के नाम से ही एयर ट्रैफिक कंट्रोल जान जाए कि विमान में US प्रेसिडेंट सवार हैं. मगर धीरे-धीरे ये अमेरिकी राष्ट्रपति के विमान का नाम ही पड़ गया. ये ख़ास तरह के कस्टमाइज़्ड विमान होते हैं, जिन्हें ख़ासतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति की सवारी के लिए डिजाइन किया जाता है. इसमें राष्ट्रपति की सुरक्षा के मद्देनज़र ख़ास सुविधाएं और सुरक्षा के इंतजामात होते हैं.
सफेद और नीले रंग का ये विमान अमेरिकी राष्ट्रपति से जुड़े सबसे ताकतवर प्रतीकों में है ये. इसे हवा में उड़ता हुआ ‘वाइट हाउस’ कहते हैं.
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ऐसे स्पेशल विमान का आइडिया कब आया?
1930 के दशक की बात है. हवाई यात्राएं प्रचलित होने लगी थीं. इसी दौर में बोइंग ने मॉडल 314 का एक लॉन्ग रेंज विमान बनाया. इसका एक नाम ‘क्लिपर’ भी था. इसका डिजाइन देखकर लगता था, मानो व्हेल मछली का शरीर हो. साल 1943 में इसी में से एक कर्मशल विमान में बैठकर तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डी रूज़वेल्ट ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल से मिलने मोरक्को के कासाब्लेंका कॉन्फ्रेंस पहुंचे थे. ये पहली बार था, जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने हवाई रास्ते से विदेश यात्रा की हो. मगर यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी एयर फोर्स (अमेरिकी वायुसेना का पुराना रूप) को लगा कि राष्ट्रपति को लाने-ले जाने के लिए कर्मशल एयरलाइन्स का इस्तेमाल सुरक्षित नहीं है. इसके लिए ख़ास इंतजाम होना चाहिए. इसी के मद्देनज़र बोइंग के एक स्पेशल VC-54C स्काईमास्टर मॉडल के विमान का ऑर्डर दिया गया. वाइट हाउस प्रेस कॉर्प्स ने इसका नाम रखा- सेक्रेड काऊ. ये ऑर्डर किया गया था प्रेजिडेंट रूजवेल्ट के लिए. ये अमेरिकी राष्ट्रपति का पहला आधिकारिक एयरक्राफ्ट बना. बाद में जब हेनरी ट्रूमैन राष्ट्रपति बने, तो उनके लिए आया VC-118 का एक विमान. ट्रूमैन जिस शहर के रहने वाले थे, उसका नाम था इंडिपेंडेंस. उसी के नाम पर उन्होंने इस विमान को ‘इंडिपेंडेंस’ नाम दिया. कोरियन युद्ध के समय इसी विमान में बैठकर जनरल डगलस मैकआर्थर से मिलने पहुंचे थे. जनरल डगलस ने कोरियन युद्ध के शुरुआती नौ महीनों में अमेरिकी सेना का नेतृत्व किया था.
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राष्ट्रपति का विमान ‘एयर फोर्स वन’ कब से कहलाया?
साल 1962. जॉन एफ कैनेडी राष्ट्रपति थे. इसी समय अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए बनाया गया पहला बोइंग जेट इस्तेमाल में आया. इस विमान का रंग था नीला और सफेद. इसके ढांचे पर लिखा हुआ था ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका’ और टेल पर बना था अमेरिकी झंडा. इसे दुनियाभर में ‘एयर फोर्स वन’ के नाम से पहचान मिली. जैसे-जैसे तकनीक और सुरक्षा के क्षेत्र में तरक्की होती रही, ‘एयर फोर्स वन’ और मॉडर्न और टेक्निकल होता गया.
वैसे ‘एयर फोर्स वन’ को नीला और सफेद रंग मिलने की कहानी भी दिलचस्प है. कैनेडी के लिए बनाए जा रहे प्रेजिडेंशल विमान को बोइंग के डिजाइनर लाल और नारंगी रंग देने वाले थे. उस जमाने में फ्रांस के एक मशहूर इंडस्ट्रियल डिजाइनर हुआ करते थे. नाम था, रेमंड लोवी. आप जो कोका-कोला का डिजाइन देखते हैं न, वो उन्होंने ही तैयार किया था. रेमंड को US प्रेजिडेंट के लिए बनाए जा रहे बोइंग विमान का रंग सही नहीं लगा. उन्होंने वाइट हाउस के किसी शख्स से ये बात कही. ये बात राष्ट्रपति की पत्नी जैकी कैनेडी तक भी पहुंची. उन्होंने कहा कि जब इतने बड़े डिजाइनर ने आलोचना की है, तो उनकी बात मानी जाए. जैकी ने ही अपने पति से कहा कि वो उस स्पेशल विमान की बाहर से डिजाइनिंग करने का जिम्मा रेमंड को दें. वो सफेद और नीला रंग रेमंड का ही दिया हुआ है.
और वो जो प्लेन पर ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका’ लिखा दिखता है, उसका फॉन्ट आया है अमेरिका के ऑरिजनल ‘डेक्लरेशन ऑफ इंडिपेंडेंस’ के टाइपफेस से.
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अभी कितने विमान हैं एयर फोर्स वन में?
जवाब है, दो. दोनों बोइंग 747-200B सीरीज़ के एयरक्राफ्ट हैं. एक का टेल कोड है 28000. दूसरे का 29000.
छुपाना भी चाहो, तो छुपता नहीं
‘एयर फोर्स वन’ का ख़ास लुक इसकी आसानी से पहचान भी करवा देता है. तब भी, जब राष्ट्रपति न चाहते हों. जैसा दिसंबर 2018 में हुआ था. ट्रंप चुपचाप इराक गए. वहां तैनात अमेरिकी सैनिकों से मिलने. ट्रंप की ये यात्रा एकदम गुप्त रखी गई. साथ गए पत्रकारों को शपथ दिलाई गई कि वो इसके बारे में किसी को कुछ नहीं बताएंगे. इतनी सीक्रेट यात्रा थी कि उड़ान के दौरान प्लेन की सारी खिड़कियां, सारे लाइट बंद रखे गए. मगर इससे पहले कि ट्रंप इराक पहुंचते, उनके वहां पहुंचने की ख़बर ऑनलाइन फैल गई. वजह- एयर फोर्स वन.
हुआ ये कि इंग्लैंड के शेफफील्ड में रहने वाले ऐलन मेलॉय सुबह-सुबह अपनी रसोई की खिड़की के पास खड़े थे. उन्हें बाहर आसमान में एक बिल्कुल ही अलग तरह का विमान दिखा. ऐलन ने लॉन्ग-लेंस से तस्वीरें खीचीं और ऑनलाइन डाल दीं. वहां लोगों ने फौरन पहचान बता दी- एयर फोर्स वन. फिर ट्रैकिंग डेटा की मदद से एक्सपर्ट्स ने पता लगा लिया कि ट्रंप मिडिल-ईस्ट जा रहे हैं. सोचिए, ट्रंप की इस विजिट पर वाइट हाउस का बयान आने से घंटों पहले ही ऑनलाइन लोगों ने ऐलान कर दिया था. बाद में ऐलन ने एक अख़बार से बात करते हुए ट्रंप को सलाह दी थी कि अगर सीक्रेट मिशन पर जाना है, तो एयर फोर्स वन जैसा आसानी से पहचाना जाने वाला एयरक्राफ्ट तो नहीं ही इस्तेमाल करना चाहिए.
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अब जानिए ‘एयर फोर्स वन’ के कुछ ख़ास फीचर्स
1. बोइंग के एक सामान्य 747 एयरक्राफ्ट और ‘एयर फोर्स वन’ में काफी अंतर है. ये फर्क तकनीक, इलेक्ट्रॉनिक, दूरसंचार के साधनों, अंदर के डिजाइन और फर्निशिंग समेत कई स्तरों पर है.
2. पॉलिटिको मैगजीन के मुताबिक, ‘एयर फोर्स वन’ के एक घंटे उड़ने की लागत आती है तकरीबन 180,000 डॉलर. भारतीय रुपये में ये रकम होगी लगभग 1 करोड़ 29 लाख.
3. इसके सुरक्षा फीचर्स बेहद गोपनीय रखे जाते हैं. कई लोग दावा करते हैं न्यूक्लियर हमले की स्थिति में भी ‘एयर फोर्स वन’ सुरक्षित रहेगा. मगर हमें आधिकारिक तौर पर इसका कोई जिक्र नहीं मिला. ये ज़रूर मिला कि ‘एयर फोर्स वन’ में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स से सुरक्षा के इंतजाम हैं. ये इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स बिजली गिरने से भी हो सकता है. और, किसी भी तरह के परमाणु धमाके से भी पैदा हो सकता है. ये तुरंत से ही सारी इलेक्ट्रॉनिक मशीनों को ठप कर देता है. विमान में बहुत सारी ज़रूरी इलेक्ट्रॉनिक मशीनें होती हैं. ‘एयर फोर्स वन’ के भीतर वो न्यूक्लियर अटैक की हालत में भी काम करती रहेंगी.
4. ‘एयर फोर्स वन’ बस एक सार्वजनिक चेहरा है अमेरिकी राष्ट्रपति के उड़नदस्ते का. इस दस्ते में कई सीक्रेट विमान होते हैं. अलग-अलग मकसद से, आपातकालीन परिस्थितियों के लिए. 1960 के दौर से ही अमेरिका ऐसे ख़ास विमान बना रहा है, जिनका इकलौता मकसद है न्यूक्लियर युद्ध की स्थिति में राष्ट्रपति को निकाल ले जाना.
और फिर राष्ट्रपति जहां हों, वहीं से इन विमानों में बैठकर वो युद्ध को कमांड कर सकते हैं. इनको ‘डूम्सडे प्लेन्स’ कहते हैं.
5. US एयर फोर्स के पास बोइंग 747 के चार स्पेशल विमान हैं. इनको E-4B नाइटवॉच प्लेन्स कहते हैं. इनको युद्ध की स्थिति में इस्तेमाल लाया जाने वाला हवाई कमांड पोस्ट समझिए. फ्लाइंग वॉर रूम. इनमें स्पेशल एंटेना लगा होता है. ताकि युद्ध की स्थिति में अगर जमीन से सारा संवाद टूट जाए, वहां सारा कम्यूनिकेशन बर्बाद हो जाए, तब भी राष्ट्रपति अमेरिकी परमाणु पनडुब्बियों के साथ संपर्क रख सकें. जब अमेरिकी राष्ट्रपति विदेश यात्रा पर जाते हैं, तब भी ये ‘डूम्सडे विमान’ राष्ट्रपति के ‘एयर फोर्स वन’ के साथ उड़ता है.
6. ‘एयर फोर्स वन’ में विमान चालक दल के 26 लोगों समेत कुल 102 लोगों के सफर करने की व्यवस्था है. ये किसी भी मौसम में सफर कर सकता है.
7. इसकी टॉप स्पीड 1126 किलोमीटर प्रति घंटे तक है. इसकी सर्विस सिलिंग है 45,100 फुट. सर्विस सिलिंग माने, किसी विमान की अधिकतम ऊंचाई पर जाने की क्षमता.
8. इस विमान में 53,611 गैलन से ज़्यादा ईंधन होता है. एक बार फुल टैंक होकर ये एयरक्राफ्ट बिना दोबारा ईंधन भरवाए 12,000 किलोमीटर से ज़्यादा की दूरी तय कर सकता है. मिडएयर रिफ्यूलिंग के बाद तो ये ग्लोब का चक्कर लगा सकता है.
9. ‘एयर फोर्स वन’ की एक खासियत ये है कि ये बीच हवा में भी रिफ्यूलिंग कर सकता है.
10. विमान के अंदर 4,000 स्क्वैयर फीट का फ्लोर स्पेस है. तीन मंजिलें हैं. अकेले ‘एयर फोर्स वन’ की ऊंचाई छह मंजिला इमारत जितनी बताई जाती है.
11. विमान के अंदर की रसोई एक समय में 100 लोगों को खाना खिला सकती है.
12. ‘एयर फोर्स वन’ के आगे अमेरिकी वायु सेना के कई कार्गो विमान भी चलते हैं. ताकि दूर-दराज़ के इलाकों में राष्ट्रपति को किसी चीज की ज़रूरत पड़े, तो वो उन्हें मुहैया कराई जा सके.
13. इस विमान के अंदर कॉन्फ्रेंस रूम, डाइनिंग रूम, राष्ट्रपति और उनकी पत्नी के लिए अलग क्वॉर्टर हैं. एक अलग ऑफिस भी है, जो समय पड़ने पर मेडिकल रूम में तब्दील किया जा सकता है.
14. उपराष्ट्रपति भी इसी विमान का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन उनके यात्रा करते समय इस विमान को कहा जाता है- एयर फोर्स टू.
15. 1997 में एक हॉलीवुड फिल्म आई थी- एयर फोर्स वन. इसकी कहानी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति और उनका परिवार ‘एयर फोर्स वन’ में यात्रा कर रहा है और उस विमान को हाइजैक कर लिया जाता है. इसमें ऐक्टर हैरिसन फोर्ड बने थे अमेरिकी राष्ट्रपति.
16. अभी ‘एयर फोर्स वन’ के जो विमान हैं, वो 1991 से ही सेवा में हैं. इन्हें 2024 में बदला जाना है.